खेल, कला, शिक्षा के क्षेत्र में मान बढ़ा रही है मगध बिहार की बेटियाँ, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष
अब मगध की लड़कियां दिखा रही है अपना दमखम |
समाज के अंदर अपनी ताकत का एहसास कराने में बेटियां पीछे नहीं हैं. जिले में कई ऐसी अपराजिताएं हैं, जिन्होंने अपनी फौलादी ताकत और मजबूत इरादों की बदौलत अपनी पहचान बनायी है. आज बालिका दिवस पर क्षेत्र की उन बेटियों से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने समाज में कुश्ती, कराटे व कबड्डी में महारथ हासिल की है. ये बेटियां खुद पारंगत होने के साथ अन्य छात्राओं को भी ट्रेनिंग दे रही हैं. इन्होंने जिला से लेकर राष्ट्रीयस्तर तक कई पदक जीतकर अपनी साहस और ताकत का डंका बजाया है. पूरा समाज इनका लोहा मानता है. गौरतलब है कि इन लड़कियों ने सफलता हासिल करने के लिए मजबूत मनोबल का परिचय दिया. साथ ही इनके मातापिता और परिजनों ने भी उनके इस संघर्ष में खूब साथ दिया.
कबड्डी में कई बार पदक हासिल कर चुकी है स्नेहा कुमारी
औरंगाबाद की स्नेहा कुमारी कबड्डी की बेहतरीन खिलाड़ी हैं.काफी कम उम्र में स्नेहा राज्यस्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर चुकी हैं. इसके अलावा स्नेहा धावक भी हैं. उन्होंने 400 मीटर की रेस में पदक भी प्राप्त किया है.औरंगाबाद ही नहीं, बल्कि बिहार के सभी जिलों में आयोजित होनेवाले कबड्डी मैच में भाग लेकर अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं. वह बताती हैं कि लड़कियों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन नहीं मिलता है. इस कारण लड़कियां खेलकूद में आने से हिचकिचाती है. सरकार को लड़कियों को खेलकूद के क्षेत्र में प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाना चाहिए.
कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं सुरभि
औरंगाबाद की सुरभि कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं. महज 20 साल की उम्र में सुरभि ने कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर लिया है. सुरभि को देखते ही मनचले दूर-दूर तक नहीं टिकते हैं. सुरभि की शहर में अलग पहचान है. उसने अनेकों बार राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में मेडल प्राप्त किया है. देश के कई बड़े शहरों में आयोजित कराटे प्रतियोगिता में मेडल जीत चुकी हैं. छोटी सी उम्र में सुरभि अबतक दर्जनों गोल्ड और सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुकी हैं. वह कराटे की ट्रेनर भी हैं.हर दिन दर्जनों युवक-युवतियों को कराटे की ट्रेनिंग देती हैं. सुरभि ने बताया कि 13 साल की उम्र से कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं. उनके पिता श्याम कुमार उसके गुरु रहे हैं.आगे चलकर कराटे के क्षेत्र में बड़ा नाम बनना चाहती हैं.
कुश्ती में बड़ा नाम है ऋचा
औरंगाबाद के ओबरा की ऋचा कुश्ती के क्षेत्र में सूबे में बड़ा नाम है. कुश्ती और खेलकूद के क्षेत्र में ऋचा को पूरा जिला पहचानता है. कुश्ती और भारोत्तोलन में स्टेट लेवल से लेकर नेशनल लेवल तक ऋचा ने पदक जीता है. 2015 से खेल के क्षेत्र में ऋचालगातार अपना परचमलहरा रही हैं. 2018 उसने स्वर्ण पदक भी जीता था. राज्यस्तर पर वह लगातार विजेता बनी हैं. इसके अलावा मगध विश्वविद्यालय में ऋचा ने कई बार स्वर्ण पदक प्राप्त किया है. उनके कोच उदय तिवारी बताते है कि पहले ऋचा कबड्डी खेला करती थीं.वह कबड्डी की शानदार खिलाड़ी हैं और कई बार पुरस्कार जीत चुकी हैं. इसके बाद उसने कुश्ती और भारोत्तोलन में भाग लिया और अपनी पहचान बनायी.
माउंट किलिमंजारोफतह कर चुकी है सौम्या
मदनपुर प्रखंड के तेलडीहा गांव के अभय सिंह की पुत्री सौम्या सिंह ने साउथ अफ्रीका के तांजानिया स्थित माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा लहराकर जिले सहित देश का नाम रोशन किया है. बता दें यह चोटी समुद्र तल से 5895 मीटर ऊपर है. वह मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित सिंधिया कन्या विद्यालय की छात्रा हैं.माइनस 15 डिग्री तापमानव ऑक्सीजन की कमी के बावजूद सौम्या ने यह उपलब्धि हासिल की है.उसने यह अभियान लिमोशो गेट से शुरू किया था.
गायिका डिंपल ने बनायी अलग पहचान
अंबा की डिंपल ने लोक गायन में पहचान बनायी है.तत्कालीन डीएम राहुल रंजन महिवाल ने उन्हें स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया था. वह दो बार राज्यस्तरीय युवा महोत्सव की विजेता रही हैं.मशहूर पत्रिका प्रभात खबर ने अपराजिता सम्मान से डिंपल को सम्मानित भी किया था. डिंपल दूरदर्शन सहित कई चैनल पर प्रस्तुति दे चुकी हैं. यूट्यूब पर डिंपल अपना चैनल चलाती हैं. उनके पिता अरुण कुमार एक शिक्षक है.
देलिशा:खेलो इंडिया में चयनित, सिक्किम में ले रही ट्रेनिंग
बोधगया की देलिशा एथलेटिक्स में नेशनल स्तर पर मेडल जीती, स्टेट लेवल पर ऑवरऑल चैंपियन रही.1500 मीटर व 3 किमी रेस में कइयों को पछाड चुकी है. वर्तमान में बिहार से खेला इंडिया खेलो के लिए चयनित है.खेल प्रतिस्पर्धा की तैयारी के लिए सिक्किम में ट्रेनिंग ले रही है. बोधगया निवासी इमाम हुसैन और याशमीन हुसैन की पुत्री देलिशा 12वीं की छात्रा है. भविष्य में भारत के लिए ओलंपिक व एशियन खेल में भाग लेकर मेडल जीतना लक्ष्य रखी है.
राखी यादव : कबड्डी में बिहार टीम में शामिल
गया कॉलेज की छात्रा राखी यादव राष्ट्रीय स्तर पर बालिका वर्ग में बिहार के कबड्डी टीम में शामिल रही है. पुरी में आयोजित कबड्डी प्रतिस्पर्धा में अपना लोहा मनवा चुकी है. साथ ही एनसीसी की तरफ से 26 जनवरी की परेड में राष्ट्रपति को सलामी दे चुकी है. उतरप्रदेश के लखनऊ से उच्च शिक्षा के तहत फिजिकल एजुकेशन में पढ़ाई कर रही है.गौरतलब है कि जिले के अन्य कॉलेजों से भी अक्सर बहुअयामी प्रतिभा की धनी छात्राएं निकलती रही हैं और संस्थान समेत पूरे जिले का नाम रोशन करती रही हैं.राखी यादव भी उन्हीं में से एक हैं और अपनी प्रतिभा के बल पर अपने मुकाम की ओर लगातार कदम बढ़ा रही हैं.
भृतिका : कबड्डी में भारत का प्रतिनिधित्व करना है लक्ष्य
गया के गेवाल बिगहा की रहने वाले श्री कृष्णनंदन उर्फ बब्लू और डॉली देवी की पुत्री भृतिका नंदन डीएवी कैट में 12 वीं की छात्रा है. 2021 में बिहार टीम में चयनित होकर लेलंगाना के हैदराबाद में नेशनल जूनियर कबड्डी खेल चुकी है. इसके अलावे स्टेट लेवल पर जूनियर व सीनियर वर्ग में ब्रांज मेडल उसके अचीवमेंट में शामिल है. इसके अलावे भी कई पदकों से सम्मानित है. भृतिका उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो खेलकूद के क्षेत्र में अपना मुकाम बनना चाहती हैं. जिले की दूसरी लड़कियां भी भृतिका से प्रेरित होकर खेलकूद में अपने आप को आगे बढ़ा सकती हैं. भृतिका ने बताया कि उन्होंने तो अभी शुरुआत की है, मेहनत के बल पर वह देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं.
समृद्धि शर्मा : राज्यस्तरीय खेलों में जीता मेडल
गया के मुरारपुर निवासी कमल कुमार शर्मा व अंजली शर्मा की पुत्री समृद्धि शर्मा जीडी गोयनका स्कूल की 10वीं की छात्रा है.शॉट पुल में राज्यस्तरीय खेलों में प्रथम स्थान पर रही है. साथ ही राज्य स्तर पर गई गोल्ड मेडल जीत रही है.पैरेंट्स सहयोग से भृतिका का शॉट पुल में भारत का प्रतिनिधित्व करना गोल में शामिल है. इनमें उनका साथ खेल संघ के सचिव जितेंद्र कुमार, कोच अभिषेक कुमार का काफी सहयोग मिल रहा है.
ताइक्वांडो ने दीपशिखा के जीवन में लगायी किक, बन गयीं दारोगा
प्रदेशस्तर पर ताइक्वांडो में लगातार 11 सालों से चैंपियन बनने वाली दीपशिखा जिले में लड़कियों के लिए मिसाल है. अपने स्कूली जीवन से ताइक्वांडो में प्रदर्शन करने वाली दीपशिखा ने दारोगा की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सबको गौरवान्वित किया है. 2008 में ताइक्वांडो खेल से जुड़ने के बाद दीपशिखा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 2012 से 2020 तक लगातार नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लेती रही. 2015 में जूनियर ग्रुप में ब्रॉन्ड मेडल तथा 2017 में सीनियर ग्रुप में सिल्वर मेडल बिहार के लिए प्राप्त किया. सदर प्रखंड के नेहालुचक गांव की रहने वाली दीपशिखा के पिता अवधेश कुमार व मां सुमित्रा देवी बेटी की सफलता से गदगद हैं. उन्होंने कहा कि बेटी को कभी भी खेलने से नहीं रोका. समाज के कई लोगों के कमेंट किये जाने के बावजूद हमने बेटा व बेटी में कभी फर्क नहीं समझा. शुरू से सरकारी स्कूल में पढ़ी दीपशिखा ने साबित किया कि यदि मन में संकल्प हो और संघर्ष का जज्बा हो, तो सफलता के लिए कोई भी बाधा सामने नहीं आती है.
बाल वैज्ञानिक के रूप में जापान पहुंचीं नौवीं की छात्रा रितिका राज
स्मोकलेस ओवन की वैज्ञानिक सोच ने हिसुआ के छोटे शहर से रितिका राज को जापान की यात्रा करायी है. कन्या इंटर स्कूल हिसुआ में नौवीं की छात्रा रही वर्ष 2013 में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की राष्ट्रीयस्तर पर भोपाल में आयोजित प्रतियोगिता में विशेष रूप से सराहा गया. स्मोकलेस ओवन में लकड़ी या कोयले से जलने वाले चूल्हे से निकलने वाले हानिकारक गैस को प्यूरिफायर करके रितिका राज प्रदूषण से बचाने का काम किया जाता है. कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए प्यूरीफायर ओवन में विशेष रूप से चारकोल व चूना जल की चिमनी बनायी गयी थी. इससे छन कर हानिकारक गैस साफ होते हैं. इसके साथ ही चीनी मिट्टी के बर्तन में एलुमिनियम और जस्ता की छलनी तैयार की गयी थी. इसके माध्यम से चूल्हे से निकलने वाले हानिकारक अन्य गैस और पदार्थों को रोकने में मदद मिली. इसे 2014 में इंस्पायर अवार्ड के प्रगति मैदान नयी दिल्ली में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में श्रेष्ठ रूप से चुना गया. इसके बाद रितिका राज को जापान में होने वाले जापान एशिया यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम इन साइंस शाकुरा में भाग लेने के लिए चुना गया. वह आठ से 14 मई 2016 को जापान के टोकियो में वैज्ञानिक कार्यक्रमों में शामिल हुई थीं. इस कार्यक्रम में वर्ष 2015 के फिजिक्स व केमिस्ट्री के नोबेल विजेता वैज्ञानिक भी शामिल हुए थे.
Feeling great too see our magadh is changing.
ReplyDelete