भगवान महावीर की मूर्ति चोरी मामले में वजीरगंज का युवक गिरफ्तार
जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के खैरा थाना क्षेत्र के रजला गांव स्थित जन्मस्थान से हुई मूर्ति की चोरी के मामले में खैरा पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. उसने मूर्ति चोर गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है. जानकारी के अनुसार, पुलिस ने गया जिले से उक्त तस्कर को गिरफ्तार किया है. उसकी पहचान वजीरगंज थाना क्षेत्र स्थित जमुआंव निवासी मुकेश पासवान के रूप में की गयी है. थानाध्यक्ष ने बताया कि उक्त तस्कर को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की गयी है. पूछताछ के दौरान उसने अपने अपराध को स्वीकार किया है और पूरी कहानी बतायी है.
पुलिस गिरफ्त में तस्कर 2015 में पकड़ा गया था मास्टरमाइंड
टना का मास्टरमाइंड प्रकाश रजक को पुलिस ने आठ दिसंबर 2015 को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार किया था. पुलिस को अपने दिये बयान में प्रकाश रजक ने बताया था कि वह हत्या के घटना को अंजाम देने के बाद बरेली में छिपा हुआ था. इसी दौरान उसकी मुलाकात आगरा के कुख्यात मूर्ति तस्कर जाटव और सलाउद्दीन से हुई थी. इसके बाद मंदिर से मूर्ति उठवा ली गयी थी और आगरा में ही मूर्ति को जाटव और सलाउद्दीन गिरोह को सौंपा जाना था. लेकिन, जब मामले में सीबीआई जांच करने पहुंची, पूरे जिले को सील कर दिया गया. तब उस मूर्ति को बाहर नहीं लाया जा सका था. घटना के बाद सीबीआई ने पूरे इलाके के मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर छानबीन शुरू की थी. इसमें घटनास्थल से प्रकाश रजक का टावर लोकेशन पाया गया था और उसी के आधार पर पुलिस ने उसे बरेली से गिरफ्तार किया था.
मूर्ति चोरी होने की सूचना पर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया था और सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा भी कर दी गयी थी.कोलकाता से सीबीआई की टीम पहुंची और मामले की पूरी जांच कर रही थी. भागलपुर प्रक्षेत्र के तत्कालीन आइजी बच्चू सिंह मीणा जमुई पहुंचे थे और लगभग सात दिन तक उन्होंने पूरे मामले में छानबीन की थी.इसके बाद पुलिस ने तुरंत दो दिनों के बाद बरेली से मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया था. अब पांच साल सात महीने के बाद पुलिस को फिर से यह सफलता मिली है .
20 लाख रुपये में हुआ था मूर्ति का सोदा
इस मामले में सीबीआई की टीम ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी थी, उसके अनुसार उक्त मूर्ति का सौदा 20 लाख रुपये में तय हुआ था. यह भी बता दें कि जिस मूर्ति को तस्करों ने चुराया था, बरामद होने के बाद उसे फिर से भगवान महावीर के जन्म स्थान में स्थापित कर दिया गया. वह 2600 साल पुरानी मूर्ति है.कसौटी के पत्थर से बनी इस मूर्ति में अष्टधातु और अन्य कई ऐसे तत्वों मिले हैं, जो वैश्विक बाजार में काफी ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है. तस्करों ने इस मूर्ति की कीमत 20 लाख रुपये में तय की थी. हालांकि इसे करोड़ों रुपये में बेचे जाने की साजिश थी, जिसे विफल कर दिया गया था. इस घटना को लेकर मामले के सरगना प्रकाश रजक को पांच लाख रुपये एडवांस भी दिये गये थे और मूर्ति को विदेश में बेचे जाने की साजिश थी. फिलहाल पुलिस को यह दूसरी बड़ी सफलता मिली है.
साढ़े पांच साल बाद पुलिस को मिली दूसरी सफलता
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में 27 नवंबर को चोरों ने जन्म स्थान से भगवान महावीर की कसौटी पत्थर की बनी मूर्ति की चोरी कर ली थी. इसके बाद पूरे विश्व में खबर फैल गयी थी. मामले में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल के बाद सीबीआई की टीम जांच करने पहुंची थी. पूरे जिले के सभी सीमा को सील कर दिया गया था. इसके बाद पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण चोर मूर्ति को अपने साथ नहीं ले जा सकते थे और इसके नौ दिन बाद 6 दिसंबर, 2015 को सिकंदरा मार्ग पर स्थित एक गांव के समीप खेतों में मूर्ति को फेंक कर फरार हो गये थे, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया था.
पुलिस के समक्ष दिये अपने बयान में मुकेश पासवान ने अपने कई साथियों का नाम भी बताया है. इसमें उसी के गांव का रहने वाला महेश चौधरी, अन्य साथी शैलेश कुमार उर्फ ललेश पासवान, पिंटू कुमार, इंद्रजीत कुमार सिन्हा, गुड्ड कुमार, धीरेंद्र टकला, जितेंद्र पासवान, धीरेंद्र कुमार, शंकर कुमार, मोहन चौधरी आदि शामिल हैं. गिरफ्तार मुकेश ने बताया कि वह गाड़ी चलाने का काम करता था और स्थानीय महेश चौधरी के यहां वह गाड़ी चलाता था. महेश चौधरी के कहने पर ही वह इस गिरोह में शामिल हुआ।
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