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अंधेरे में है शहर के मुहल्ले, खराब लाइट की मरम्मत अभी तक नही हुई


 शहर को रोशन करने के लिए करीब पांच साल पूर्व सभी गली-सड़कों, मुहल्लों में एलइडी लाइट लगाना प्रारंभ हुआ था. इइएसएल कंपनी द्वारा पूरे शहर में 12500 एलइडी लाइट्स लगानी थी लेकिन नगर पर्षद के पदाधिकारियों के अनुसार करीब 6300 लाइटें ही लगायी गयीं. शेष लाइट्स अभी तक नहीं लगी है. पिछले दो साल से अधिक समय से खराब एलइडी लाइट की मरम्मत और मेंटेनेंस का काम भी लगभग ठप है. विभिन्न वार्डों में जितने लाइट्स लगने थे उतने न लगने के कारण कई गलियां अंधेरे में डूबी रहती हैं. वहीं जिन गलियों में लाइट्स लगायी भी गयी थी, उनमें से कई खराब हो चुकी हैं जिनके मेंटेनेंस के लिए वार्ड पार्षदों द्वारा लगातार नगर परिषद और कंपनी को कहा जा रहा है लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. वहीं मुख्य सड़कों पर भी एलइडी लाइट्स लगाये जाने थे पर अधिकांश जगहों पर अभी तक नहीं लगने से शहर में कई जगहों पर अंधेरे का साम्राज्य फैला रहता है.

नगर पर्षद के बोर्ड में कई बार उठा है मामला 

एलइडी लाइट्स को लगाने तथा मरम्मत की मांग को लेकर पिछले कई नगर पर्षद बोर्ड की बैठकों में हंगामा हो चुका है. हर बार मामला अटक जाता है और शहर में अंधेरा दिनोंदिन बढ़ते जा रहा है. फिलहाल मुख्य पार्षद अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं. वहीं राज्य चुनाव आयोग से निर्देश मिलने के बाद नये मुख्य पार्षद के पद को लेकर नये सिरे से चुनाव होगा, इसे लेकर सभी वार्ड पार्षद राजनीति में व्यस्त हैं, इधर शहर अंधेरे में डूबने को मानो अभिशप्त है. जानकारों की मानें, तो अभी कंपनी को लाइट से भुगतान का मामला अटका हुआ है.


 भुगतान संबंधी मामले के निबटारे के बाद ही शहर में बाकी बचे लाइट्स को लगाया जाएगा. कंपनी को लाइट लगाने के बाद सात साल तक मेंटेनेंस का जिम्मा देखना था. 72 घंटे में खराब लाइट्स को ठीक करना या नहीं ठीक होने की स्थिति बदलना था. ऐसा नहीं करने पर प्रतिदिन 25 रुपये के हिसाब से कंपनी का भुगतान में से राशि काट ली जानी है लेकिन न तो नयी लाइट्स लग रही हैं और न ही पुराने को बनाया या बदला जा रहा है और न ही कंपनी पर देरी के लिए कोई जुर्माना लगाया जा रहा है.


वहीं उपमुख्य पार्षद कृष्णा कुमार गुप्ता ने बताया कि नगर बोर्ड की बैठक में भी लाइट का मुद्दा कई बार उठा चुका है. कंपनी को निर्देश भी दिये गये हैं लेकिन पिछले दो साल से महज खानापूर्ति हो रही है. सभी वार्डों में और लाइट लगने थे. वहीं सड़कों पर भी कई जगह लाइट्स लगायी जानी है जिसके लिए अभी तक लाइट कंपनी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है. वहीं कार्यपालक पदाधिकारी कपिलदेव कुमार का कहन है कि कई जगहों पर हाइमास्ट लाइट की मरम्मत की गयी है. वहीं मेंटेनेंस का काम भी जारी है. पूर्व में शहर में लाइट्स लगाने का काम व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पाया है. पेमेंट का भी कुछ इश्यू अटका है. 


इधर पूरा शहर स्ट्रीट लाइट की कमी से जूझ रहा है लेकिन इसी बीच एक और दुविधा आन पड़ी है। बरसात महीने में बिजली कटौती से लोग हमेशा परेशान रहते है. लोग इस सब का जिम्मेदारी बिजली विभाग और नगर परिषद को मढ़ते है और कहते है कि बिजली बिल लेने आने वक्त कर्मचारियों से बहस करेंगे. इसी दौरान अब बिजली विभाग ने इस सब समस्याओं को छोड़ एक नया प्लान बनाया है

कोरोना व अन्य कारणों से बिजली विभाग के राजस्व संग्रहण को भारी झटका लगा है. राजस्व वसूली की समस्या से जूझ रहे बिजली विभाग ने अब राजस्व वसूली में सख्ती के साथ तेजी लाने का निर्णय लिया है. इस संदर्भ में विद्युत कार्यपालक अभियंता अनिल कुमार ने बताया कि राजस्व वसूली को लेकर विभाग अब सख्ती से निबटेगा. उन्होंने कहा कि आपदा में भी विभाग ने विद्युत आपूर्ति को सुचारु रखने के लिए अपनी ओर से हर जरूरी सहूलियत देते हुए उपभोक्ताओं के हितों का पूरा ख्याल रखा लेकिन राजस्व देने के मामले में अधिकांश उपभोक्ताओं ने विभाग के लिए अपने दायित्वों के निर्वहन में पूरी कोताही बरती है. ऐसे में अब सख्ती के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.


 राजस्व संग्रहण के लिए पहले से तैनात टीम के अलावा अब चार सहायक अभियंता, सात कनीय अभियंता, एक एडीओ, एक आईटी मैनेजर, दो सहायक आईटी मैनेजर सहित एक दर्जन से अधिक अधिकारियों को लगया गया है. मीटर बाइपास कर या अलग से टोका फंसाकर बिजली चोरी व बिना लोड बढ़ाए अवैध रूप से स्वीकृत लोड से अधिक बिजली इस्तेमाल करने वालों के लिए यह झटका देने वाली खबर है. . ऊर्जा विभाग की टीम अब घरेलू एवं व्यवसायिक सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के परिसर में छापेमारी करेगी. इसको लेकर अब कंपनी के अधिकारियों ने करवाई भी शुरू कर दी है.


 विभाग के कार्यपालक अभियंता अनिल कुमार ने बताया कि बिजली चोरी से न सिर्फ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि इसके पूरी आपूर्ति संचरण व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. घर घर छापेमारी को लेकर कंपनी ने टीम का गठन भी कर लिया है. इस टीम में शामिल अधिकारी छापेमारी के दौरान घर में चल रहे बिजली लोड का ऑनस्पॉट जांच करेंगे. उन्होंने बताया कि 50 यूनिट से कम खपत वाले उपभोक्ताओं के परिसर की जांच अधिकारियों द्वारा किया जायेगा. अगर मीटर बाइपास कर बिजली चोरी करते पकड़े गए तो उन पर जुर्माना के साथ साथ एफआईआर भी किया जायेगा.

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