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लोक आस्था का केंद्र है दोमुहान का सूर्य मंदिर और पिपरा बगाही सूर्य मंदिर छठ के मौके पर यहां व्रतियों की भारी भीड़ इकट्ठी होती है

Domuhan surya mandir

 आस्था का महापर्व छठ पूजा आने वाला है इसी अवसर पर आइए जानते हैं कुछ मशहूर स्थानों के बारे में जो काफी मशहूर है। कुटुंबा प्रखंड का दोमुहान सूर्य मंदिर लोक आस्था के केंद्र के रुप में स्थापित हो चुका है। छठ के मौके पर यहां व्रतियों की भारी भीड़ इकट्ठी होती है। ऐसा माना जाता है कि देव के बाद जिले का यह दूसरा महत्वपूर्ण सूर्य स्थल है।


भास्कर नगर दुमुहान संड़सा स्थित यह सूर्य स्थली बतरे और बटाने नदी के संगम पर अवस्थित है। संगम होने के चलते भक्त यहां पूजा अर्चना करते थे। वर्ष 1969 में एक सन्यासी नागा रामनारायण दास यहां आए और चार महीने तक नदी तट पर विश्राम किए। 1970 में उन्होंने यहां नवाह परायण यज्ञ कराया, जिसमें अयोध्या के संत श्री नृत्यगोपाल दास आए। इस स्थल को देख उन्होंने कहा कि भविष्य में यह मनोरम स्थल के रूप में विकसित होगा। नागा बाबा और स्थानीय कपिल देव सिंह के प्रयास से यहां सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया। वर्ष 1988 में भगवान भास्कर की प्राण प्रतिष्ठा हुई। प्राण प्रतिष्ठा के बाद का चैत्र और कार्तिक महीने के छठ में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी।


नागा बाबा यही कुटिया में निवास करते थे। उनके निधन के बाद वर्ष 2002 में एक आम सभा कर स्थानीय रिटायर्ड शिक्षक कुमार नागेंद्र नारायण सिंह को मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इनकी देख-रेख में मंदिर के चारों ओर बरामदे का निर्माण कराया गया और गुंबद बनाकर उस पर कलश बिठाया गया। उसके बाद मंदिर से जुड़े कार्यों का जिम्मा स्थानीय नवयुवक समिति को सौंप दिया गया है। दोमुहान के अलावा भी प्रखंड क्षेत्र में कई सूर्य मंदिर है जहां छठ पूजा धूमधाम से की जाती है। पिपरा बगाही, चपरा, बैरांव, घुंडा, दधपा आदि गांव में भी सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। छठ के मौके पर इन जगहों पर भी व्रतियों की अच्छी खासी भीड़ इकट्ठी होती है

संत की जिद पर बना था सूर्य मन्दिर

पिपरा-सांडी का सूर्य मन्दिर सन्त आशीष कुमार बापू की जिद का प्रतिफल है। ग्रामीण बताते हैं वर्ष 2016 में ग्राम देवी प्राण-प्रतिष्ठा के वार्षिकोत्सव की जलभरी निकलनी थी। नदी में पानी नहीं था। भक्त चिंतित थे। बापू नदी की ओर टहलने निकले और एक स्थान चिन्हित कर बताया कि यहीं गड्ढा बना जलभरी किया जाए। नदी में गड्ढा बनाने पर एक जलस्रोत फूट पड़ा। दूसरे दिन जलभरी निकली जिसमें संत भी शामिल हुए। जल उठाने से पहले बापू ने भक्तों से यहां सूर्य मंदिर बनाने का आग्रह किया ।

और इसकी जिद पकड़ ली। मंदिर निर्माण की बात स्वीकार करने के बाद ही संत ने जल उठाया। यहां भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है।

चपरा में है पांच मंदिरों की शृृंखला

चपरा का पंचदेव धाम एनएच 139 से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पांच मंदिरों की श्रृंखला है और एक विशाल सरोवर है। भारतीय जन सेवा परिषद ने इस धाम का विकास किया है। भगवान सूर्य का यहां विशाल मंदिर है। छठ के दौरान परिषद के द्वारा भक्तों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां छठ करने आते हैं। इधर बैरांव व घुंडा में भी सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। इन स्थानों पर भी व्रतियों के लिए समिति के द्वारा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।

दधपा में है सूर्य की खंडित प्रतिमा

दधपा सूर्य मंदिर में भगवान की खंडित प्रतिमा है। आसपास के लोगों की इस मंदिर से गहरी आस्था है। बताया जाता है कि अंबा-नबीनगर मुख्य पथ के निर्माण के क्रम में यह खंडित प्रतिमा मिली थी जिसकी स्थापना जनसहयोग से की गई और मंदिर का निर्माण कराया गया। मंदिर के समीप तालाब का निर्माण कराया गया है। छठ पूजा के दौरान मंदिर को सजाया जाता है और तालाब के घाट की सफाई कराई जाती है। व्रतियों के लिए यहां भी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। छठ पूजा समिति से जुड़े लोग बताते हैं कि लंबे अरसे से लोग यहां छठ करते रहे हैं।

सैकड़ों वर्ष पुराना है हसपुरा का छठीअहरा

हसपुरा का छठीअहरा घाट सौ वर्षों से भी अधिक पुराना घाट है और इस घाट पर हजारों की संख्या में लोग छठ करने आते हैं। यह घाट पश्चिम मुहल्ला चौराही रोड में उचित बिगहा धर्मशाला के समीप है।


उचित बिगहा के धर्मशाला के पास पुल से जाने का रास्ता है। दूसरी ओर कनाप रोड से घाट तक पहुंचा जा सकता है। 52 बीघा की सरकारी जमीन में लगभग आधा किमी दूरी पर लम्बा छठीअहरा घाट है। सरकार के द्वारा कोई भी सुविधा इस घाट पर नहीं दी जाती है। सरकारी स्तर से इस घाट की साफ-सफाई भी नहीं की जाती है। सालों भर गंदगी का अंबार लगा रहता है। छठ के लिए ग्रामीण अपने सहयोग से प्रत्येक वर्ष घाटों की सफाई करते हैं और अपनी आवश्यकतानुसार कई लोग ईंट और सीमेंट के द्वारा भी घाट को बनाते हैं। पांच वर्ष पूर्व मनरेगा से तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब से कुछ दूरी तक पीसीसी का निर्माण कराया गया है। घाट पर पीसीसी निर्माण के लिए गोह विधायक भीम कुमार सिंह से ग्रामीणों ने मांग की है। 1913 में सरकारी सर्वे में 52 बीघा छठीअहरा घाट उल्लेख है। सैंकड़ों वर्षों से यहां छठ करने हसपुरा बाजार, आदर्श नगर, शिवदत बिगहा, बरैली चक, शिवभजन बिगहा के साथ-साथ दाउदनगर सीमाए क्षेत्र के कनाप बिगहा से, अमृत नगर, कंचन नगर गांव के लोग आते हैं।

आस्था का केंद्र है छठीअहरा घाट

हसपुरा का छठीअहरा हसपुरावासियों के लिए आस्था का केंद्र है। सबसे खासियत इस घाट का यह है कि इस जगह पर सभी मौसम में पानी रहता है। चाहे भीषण गर्मी क्यों न हो, इस जगह पर पानी नहीं सूखता है। सभी पर्व त्योहारों में कलश और मूर्तियों का विसर्जन इसी छठीअहरा घाट पर होता है। छठ के समय हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण माहौल में सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार भीड़-भाड़ कम आई थी। वैसे कभी व्रतियों को यहां कोई परेशानी नहीं होती है।

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