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मगध में रामायण और महाभारत काल से ही चली आ रही है आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने की परंपरा


 लोक आस्था का महापर्व छठ सूर्योपासना का सबसे बड़ा पर्व है. पहले दिन डूबते हुए सूर्य तथा दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, छठ पूजा कब प्रारंभ हुआ, इसके बारे में कई अलग-अलग मत हैं, फिर भी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण और महाभारत काल में भी यह छठ पूजा होती रही है. कहा जाता है कि मगध क्षेत्र से ही इस पूजा का प्रारंभ हुआ जिसे कालांतर में कई प्रदेशों में अपना लिया गया. जहानाबाद जिले में भी प्राचीन काल से छठ पूजा होती रही है. यहां के कई घाटों पर सैकड़ों वर्षों से छठ पूजा किये जाने का इतिहास मिलता है.


काको घाट : प्रखंड मुख्यालय में 88 एकड़ में फैले प्राचीन पनिहास के किनारे सूर्य मंदिर स्थित है जहां 1948 में तालाब की खुदाई से प्राप्त प्राचीन सूर्य मूर्ति को पंचमुखी मंदिर बनाकर स्थापित किया गया. काको पनिहास के घाट पर हर वर्ष छठ में हजारों व्रतियों की भीड़ उमड़ती है. यह सरोवर और मंदिर पर्यटन विभाग के रामायण सर्किट से भी जुड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम की विमाता कैकेयी ने भी यहां कुछ काल रूक कर सूर्योपासना की थी.


दक्षिणी घाट : दक्षिणी में स्थित सूर्य मंदिर के किनारे स्थित सरोवर के घाट पर सैकड़ों वर्षों से आसपास के दर्जनों गांवों के लोग छठ व्रत करते हैं. यहां पूरे जिले और दूसरे जिलों से भी लोग मन्नत उतारने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में राजा यक्ष का किला स्थित था. यहां स्थित तालाब से भगवान सूर्य की मूर्ति समेत कई मूर्तियां निकली थीं जो मंदिर में स्थापित हैं. दक्षिणी सूर्य मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां भगवान सूर्य की उत्तरायन और दक्षिणायन दोनों मुद्राओं में मूर्ति स्थापित है. शायद ही भारत के किसी अन्य स्थान पर ऐसा मिलता है.


ठाकुरबाड़ी संगम घाट : जहानाबाद शहर में दरधा-यमुने संगम पर स्थित ठाकुरबाड़ी घाट पर जिले में सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है. यहां पर नदी के दोनों तरफ सूर्य मंदिर पूर्व और पश्चिम दिशा की ओर स्थापित हैं. ऐसे में अस्ताचलगामी सूर्य तथा उदीयमान सूर्य दोनों को अर्घ्य देते समय व्रतियों का मुख्य मंदिर की सूर्यमूर्ति के सामने रहता है जो इसे अलग ही पवित्रता और विशेष स्थान बनाता है. ठाकुरबाड़ी में करीब 540 वर्षों से नदी किनारे छठ पूजा किये जाने का इतिहास मिलता है. जानकार लोग बताते हैं कि घाट भले ही बदलते रहे हों लेकिन जब से छठ पूजा का इतिहास है तब से मगध में हजारों वर्षों से छठ पूजा होती रही है.


सूर्य पूजा का प्रावीन केंद्र है मगध :सूर्य प्राचीनतम पूज्य देवता हैं. मगध क्षेत्र सूर्य पूजा का प्राचीन केंद्र रहा है. शांब पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पोते शांब को जब कुष्ठ रोग के निदान के लिए सूर्य पूजा की विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता पड़ी तो इसके लिए शाकद्वीप से मग ब्राह्मणों को बुलाया गया जिन्हें बाद में मगध में ही बसा दिया गया. सूर्य पूजक मगों की प्रधानता होने के कारण ही इस क्षेत्र का नाम मगध पड़ा


 मगान्सूर्यपूजकान्धारायति इति मगधः. इन्हीं मग ब्राह्मणों ने सूर्य पूजा का प्रसार किया. एक अन्य मत के अनुसार सूर्य और कार्तिकेय की पूजा को भारत में कुषाण राजाओं ने भी लोकप्रिय बनाया. इतिहासकारों के अनुसार कुषाण राजा कनिष्क ने ही सूर्यदेव का पहला मंदिर मूल्तान में निर्माण कराया था. वहीं पुराणों में छठ पूजा को लेकर राजा प्रियंवद के द्वारा छठ पूजा का प्रारंभ किया गया था. इसके अलावा भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के द्वारा भी सूर्य देव की उपासना षष्ठी पूजा का उल्लेख पुराणों में मिलता है. महाभारत के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने अर्घ्यदान की परंपरा प्रारंभ की. वहीं यह भी कथा है कि जब पांचों पांडव अपना राजपाट जुए में हार गये और उन्हें वनवास जाना पड़ा तो द्रौपदी ने सूर्योपासना की थी. स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को छह कार्तिका माताओं ने लालन-पोषण किया था, जिन्हें षष्ठी माता भी कहा जाता है. माता पार्वती ने भी देवासुर संग्राम में कार्तिकेय के विजयी होकर लौटने पर भगवान सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य दिया था. सूर्यपूजा के संबंध में कई पौराणिक तथा लौकिक मान्यताएं प्रचलित हैं. इन सबसे इतर आम जनमानस अब छठ पूजा से इतना जुड़ गया है कि यह जीवन का हिस्सा बन गया है.


काफी प्रसिद्ध है किंजर का सूर्य मंदिर धाम

छठ पर्व के मौके पर जो स्थान ऊलार, देव, अंगारी, देवकुंड, मधुश्रवां का है, वही स्थान किंजर-पुनपुन नदी तट स्थित सूर्य मंदिर धाम का भी है. 95 वर्षीय अवकाश प्राप्त किंजर उज्जैन पट्टी निवासी पुलिस ऑफिसर कामेश्वर प्रसाद सिंह बताते हैं कि किंजर सूर्य मंदिर घाट स्थित अतिप्राचीन व छोटा सूर्य मंदिर टेकारी राज के तत्कालीन महाराज धीराज के द्वारा बनवाया गया था. छठ पर्व भी  इस स्थल पर काफी दिनों से होता आ रहा है लेकिन पहले काफी कम लोग जुटते थे अब तो भीड़ इतनी होती है कि आदमी ज्यादा और जगह कम पड़ जाता है. वहीं मंदिर के प्रधान पुजारी पं शेषनाथ मिश्रा ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से महाराज द्वारा निर्मित पुराने मंदिर को पूरी तरह तोड़कर नया और विशाल गुंबद नुमा मंदिर का निर्माण 1980 ई में कराया गया है. वहीं वर्ष 2000 से छिटपुट इक्का-दुक्का शादी विवाह उक्त स्थल पर होने लगा आज काफी मात्रा में शादी विवाह यहां हो रहा है. वहीं कार्तिक एवं चैती छठ के मौके पर लोग पालीगंज, टेकारी, घोसी, मखदुमपुर, जहानाबाद, कुर्था, शकुराबाद के अलावा पटना, गया, नवादा से भी लोग यहां छठ व्रत करने पहुंचते हैं. इसके अलावा जिनका मनौती रहता है वह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से भी आकर यहां पूजा करते हैं. प्रतिवर्ष देव दीपावली में गंगा आरती व पर्यावरण संरक्षण के लिए 5000 मिट्टी के दीये जलाये जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगभग 100000 लोग कई गांव और जिले से आकर यहां गंगा स्नान भी करते हैं.


नौलखा सूर्य मंदिर बेलसार में छठ व्रतियों का उमड़ता है सैलाब

एक समय में नौलखा मंदिर के रूप में अपना स्थान स्थापित करने वाला बेलसार का सूर्य मंदिर आज भी लोगों के बीच में आस्था का केंद्र बना हुआ है. गौरतलब हो कि आज से तीस वर्ष पूर्व बेलसार में एक सूर्य मंदिर का निर्माण किया गया था जिसमें 9 लाख रुपये खर्च किया गया था जो लोगों के बीच में खासे चर्चा का विषय बना हुआ था. जिला में इस तरह का मंदिर नहीं बना है.


देखते ही देखते इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई. रविवार के दिन सैकड़ों की संख्या में लोग यहां मंदिर में पूजा-पाठ करने आने लगे साल में दो बार होने वाले छठ व्रत में लोगों का जनसैलाब उमड़ने लगा. सोन नहर के किनारे इस मंदिर की स्थापना होने से छठ व्रत में काफी दूर-दूर से लोग यहां आने लगे एन एच139 के किनारे अवस्थित यह मंदिर लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां छठ व्रत करने से छठ व्रती जो भी मन्नत मांगते हैं, वह भगवान भास्कर पूरा करते हैं. बेलसार में छठ पर्व को लेकर प्रशासन भी काफी सक्रिय दिख रहा है. प्रशासन को यह ज्ञात है कि इस जगह में छठ पर्व के दिन श्रद्धालुओं की काफी संख्या उमड़ती है. मंदिर के आगे नहर है, भीड़-भाड़ के कारण कभी भी घटना दुर्घटना हो सकती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन इस सूर्य मंदिर के आगे बैरिकेडिंग कर रही है. नहर के रास्ते जाने वाले अर्ध के लिए विशेष एहतियात बरता जा रहा है. थानाध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि स्थायी तौर पर पुलिस बल की तैनाती होगी जो हर किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयार रहेगी. साथ ही पुलिस बल का यह प्रयास भी होगा कि छठ व्रती को किसी तरह की परेशानी न हो. 

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