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पंचायत चुनाव में 5 साल बाद फिर से परदेसी वोटरों की आई याद, वोट के लिए एक से बढ़ एक दाव

 

चुनावी सरगर्मी जिले में परवान पर है. जहां एक ओर प्रशासन निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर प्रयासरत है, वहीं प्रत्याशी वोटरों को गोलबंद करने में जुटे हैं. पंचायत चुनाव में पहली बार इवीएम का प्रयोग हो रहा है, जिसके कारण उम्मीदवारों की धड़कनें भी तेज है. वैसे प्रत्याशी किसी भी तरह सिर्फ जीत के आंकड़े अपनी झोली में डालने की फिराक में हैं. हर एक वोट कीमती है. यह प्रत्याशियों से अधिक कोई और नहीं समझ सकता. शायद यही वजह है कि क्षेत्र के हर एक मतदाताओं के आंकड़े जुटाये जा रहे हैं. चाहे किसी के पैर छूने पड़े या फिर नापसंद लोगों के दरवाजे पर भी हाथ जोड़ कर खड़े होना पड़े. चुनाव में जीत के लिए सब जायज है और वोट पाने के लिए हर घुट पीना पड़ रहा है. मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए सारे हथकंडे अपनाये जा रहे हैं. 


इसी में एक हथकंडा यह भी है कि परदेसी वोटरों को गांव वापस बुलाने का भी प्रयास किया जा रहा है. उम्मीदवार उन घरों में दो-तीन चक्कर दिन में लगा ही लेते हैं जिनके परिवार के ज्यादातर लोग रोजी रोजगार की तलाश में परदेस गये हुए हैं. ऐसे लोगों को खासकर मुखिया, वार्ड सदस्य के दावेदारों के समर्थक पूरा भरोसा दिला रहे हैं कि बेटा, भाई, बहू को इस बार दुर्गापूजा में घर बुलवा लीजिये. वे कैसे आएंगे और कैसे जाएंगे. इसकी चिंता नहीं करें. बस बुलाने की तारीख बतायें. बाकी का काम नेताजी खुद संभाल लेंगे. मतलब साफ है कि नेताजी को पूरे पांच साल बाद फिर से परदेसी वोटरों की याद आई है और गांव में अपनी सरकार बनाने के लिए परदेसी वोटरों के आने-जाने का पूरा खर्च उठाने को तैयार हैं. कोई ट्रेन से तो कोई बस से और कुछ तो निजी वाहन से भी परदेसी वोटरों को बुलाने के लिए उनके घर वालों को मनाने में लगे हैं.

गांवों में हर जगह चुनाव की चर्चा 

 पंचायत चुनाव का नामांकन शुरू होने के बाद से ग्रामीण क्षेत्र चुनावी रंग में रंगने लगा है. उम्मीदवारों के दस्तक देते ही ग्रामीण खिंचे चले आते हैं. इनमें कई ऐसे भी हैं, जिन्हें पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. तो कई ऐसे भी हैं जो कई चुनावों से अपने पद पर काबिज हैं. अब विजयी उम्मीदवार हों या फिर हारे, एक बार फिर से कमर कस चुके हैं. वैसे लोग भी प्रत्याशी बनने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं, जो पंचायत के विकास से संतुष्ट नहीं हैं और उनमें कुछ कर दिखाने का जज्बा है.

वहीं बात की जाए चुनाव तैयारियां और ताजा अप्डेट्स की तो सदर प्रखंड में प्रथम चरण में 24 सितंबर को 15 पंचायतों में होने वाले पंचायत चुनाव के नामांकन के अंतिम दिन विभिन्न पदों से दर्जनों प्रत्याशियों ने अपना-अपना नामांकन का पर्चा दाखिल किया. हालांकि अंतिम दिन प्रखंड कार्यालय पर नामांकन करनेवाले अभ्यर्थियों व समर्थकों की संख्या कम दिखायी दी. इस दौरान ओरा पंचायत से मुखिया पद के लिए तथा पंचायत समिति सदस्य पद से नौगढ़ पंचायत से  कई लोगों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया. जानकारी देते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी सह निर्वाची पदाधिकारी नवीन शर्मा ने बताया कि नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गयी है. अब अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल किये गये नामांकन प्रपत्रों की जांच की जायेगी. इसके बाद 13 सितंबर तक जो अभ्यर्थी अपना नामांकन वापस लेना चाहते हैं तो वे ले सकते हैं. 


इसके बाद 13 सितंबर को शाम में ही चुनाव मैदान में भाग्य का फैसला आजमा रहे अभ्यर्थियों को नाम के अनुसार चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिये जायेंगे. उसके बाद अभ्यर्थी चुनाव चिह्न के साथ क्षेत्र में प्रचार कर सकते हैं. इधर, नामांकन प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए वीडियोग्राफी की व्यवस्था की गयी थी. वहीं सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गयी थी. यही कारण है कि शांतिपूर्ण तरीके से नामांकन की प्रक्रिया संपन्न हो गयी. पहले चरण की वोटिंग 24 सितंबर को होगी. अब धुंआधार तरीके से प्रत्याशी क्षेत्र में प्रचार करने में जुट गये हैं और वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं.


बात की जाए पंचायत चुनाव के दूसरे चरण की तैयारियां और अप्डेट्स की तो नवीनगर प्रखंड में दूसरे चरण के दौरान होनेवाले पंचायत चुनाव का नामांकन जारी है. गुरुवार को यानी नामांकन के तीसरे दिन 689 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा.

इधर प्रखंड विकास पदाधिकारी देवानंद कुमार सिंह ने बताया कि 25 ग्राम पंचायत में मुखिया पद के लिए 16 महिला और 34 पुरुष कुल 50 लोगों ने नामांकन किया. समिति पद के लिए 40 महिला और 35 पुरुष यानी 75 लोगों ने नामांकन किया. सरपंच पद के लिए 16 महिला और 25 पुरुष सहित 41 लोगों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया. पंच पद के लिए 52 महिला और 51 पुरुष सहित 103 प्रत्याशियों ने नामांकन किया. वार्ड सदस्य पद के लिए 195 महिला और 225 पुरुष सहित 420 लोगों ने नामांकन किया.


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