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पार्क में पहले था रौनक, अब है बदहाली की हालत, शहर में और कोई नही है दूसरा पार्क

Arwal park

 गांधी मैदान में बना शहर का एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क बदहाली के कगार पर है. आलम यह है कि जिस पार्क में फूल का पौधा व मनोरंजन का सामान होना चाहिए. वह उजड़े चमन की तरह अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. यह पार्क दिन में मवेशियों का चारागाह बना रहता है. बच्चों के लिए और भी चिंता की बात हो गयी है कि शहर का मात्र इकलौता यह पार्क किस दिन खेलने के काम आएगा.


पार्क के निर्माण के बाद बच्चों एवं उनके अभिभावकों को लगा था कि उनके बच्चों का शुद्ध शारीरिक विकास होगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. कायदे से जिस पार्क के पास फुल पति से सजा हरा भरा और बच्चों के मनोरंजन के लिए खेल सामग्री होना चाहिए था, वहां उजड़े चमन के बीच पार्क बनाने का रोना रो रहा है. जो खेल सामग्री बच्चों के लिए लगाए भी गए थे वह सब टूट कर बिखर गया, जिसका मलवा भी आसपास के लोग लेकर अपने घर चले गए. वैसे तो इसकी रखरखाव की जिम्मेवारी नगर पर्षद का बनता है, लेकिन यह सार्वजनिक स्थान है. इस लिहाज से हर जागरूक नागरिक का भी कर्तव्य बनता था कि अगर कोई इसे बिगाड़ रहा है तो उसे रोका जाए. लेकिन दुर्भाग्य है कि इस विषय परकिसी ने ध्यान नहीं दिया. न जिला प्रशासन ने, न ही नगर परिषद ने. 


पार्क के निर्माण कराने के बाद लगता है कोई देखने कभी नहीं आया, जिसका उदाहरण है जहां झूला आधे बनाए गए थे वहां गड्ढा और झाड़ी अपना स्थान ग्रहण कर लिया है. आम लोग सुबहशाम रहते हैं और इन्हीं लोगों के सामने इसे तोड़ा और बर्बाद भी किया जाता है, लेकिन इस पर देखते हुए कोई बोलने को तैयार नहीं है. लोग चुपचाप सब देखते हुए आगे बढ़ जाते हैं. उन्हें लगता है कि सरकारी संपत्ति बर्बाद हो रहा है, इसमें मेरा क्या जाता है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि यहां टहलने व आने वाले लोगों के ही बच्चे मनोरंजन भी करते हैं. इस पार्क का निर्माण वित्तीय वर्ष 2012-13 में तत्कालीन डीएम संजय सिंह की पहल पर किया गया था, तब इस पार्क के निर्माण पर 9 लाख रुपया खर्च हुआ था. उस वक्त डीएम ने सख्त निर्देश दिया था कि इस जगह को साफ-सुथरा रखना है. साथ ही यह जगह आकर्षक लगे लगे इसके लिए चारों तरफ फूल-पत्ती लगाकर उसका भी रखरखाव करना है.


उस वक्त फूल-पत्ती भी लगाया गया था, लेकिन जैसे ही उक्त डीएम का तबादला हुआ इस ओर से प्रशासनिक महकमा मुंह मोड़ लिया. नतीजा है कि आज यह चिल्ड्रेन पार्क बदरंगी का चादर ओढ़ लिया है. जहां बच्चों के किलकारी गुंजनना चाहिए था वहां सर्वत्र सन्नाटा पसरा रहता है. गांधी मैदान में सुबह शाम अपनी सेहत के लिए चक्कर लगाने आने वाले विनोद सिंह, राजकुमार , रंजीत कुमार सहित दर्जनों लोगों ने चिल्डोन पार्क के बदहाली पर दुख व्यक्त किया. साथ ही कहा कि हमारे प्रशासनिक महकमा का यह सबसे कमजोर कड़ी है कि वह बनता तो है, लेकिन रखरखाव पर ध्यान नहीं देता है. रही बात इसे तोड़ने की तो सही बात है कि हमलोग के सामने भी कार्य किया जाता है, लेकिन हम चाह कर भी नहीं बोल पाते हैं.

क्या कहते है पदाधिकारी

यह पार्क जिले के फंड से बना था,  जिसके कारण हमलोग कुछ नहीं कर सकते हैं. नया पार्क के लिए जगह देखा जा रहा है. डॉ अनुपा, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद, अरवल



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