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Thera shivling : बिहार का यह शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है अपना रंग

 

शिव मंदिर

हिंदुओं के धार्मिक व आस्था का केंद्र प्रखंड क्षेत्र का ठेरा शिवलिंग मंदिर पुरातात्विक व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. फाल्गुन में शिवरात्रि में यहां मेला लगाया जाता है. इसकी सरकार बंदोबस्ती भी करती है. ठेरा शिवमंदिर वारिसलीगंज प्रखंड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर पूरब स्थित है. लोगों का कहना है कि ठेरा गांव का शिवलिंग दिन में तीन रंग बदलता है. यह कोई किवदंती नहीं, बल्कि इसे प्रत्येक आदमी देख सकता है.

 सुबह में उजला, दोपहर नीला व शाम ढलते ही शिवलिंग का रंग लाल हो जाता है. बाबा तटेश्वरनाथ के नाम से मशहूर इस कामना लिंग की स्थापना को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां है. लोगों ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पहले गांव के दक्षिणी छोर पर स्थित श्मशान के किनारे बहती नदी के किनारे शिवलिंग को देखा गया था. कुछ लोगों का कहना है कि कालांतर में भटके सन्यासी ने लिंग की खोज की थी.


शिव पुराण में पांच कामना लिंगों की चर्चा की गयी है. जिसमें ठेरा गांव स्थित बाबा तटेश्वरनाथ कामना लिंग का भी जिक्र है. लोगों का कहना है कि देवघर स्थित शिवलिंग का रंग व आकार ठेरा स्थित मंदिर के शिवलिंग से काफी मिलता जुलता है. महज लिंग के स्पर्श से असाध्य रोगों का निवारण होते देखा गया है. वर्षों से महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा तटेश्वरनाथ के प्रांगण में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. प्रशासन की देखरेख में इस मौके पर दंगल प्रतियोगिता का आयोजन कर पहलवानों को पुरस्कृत भी किया जाता था. इसमें कई जिलों के पहलवान शिरकत करते थे.

लोगों के सहयोग से जीर्णोद्धार 

जब हमने मंदिर के पुजारी से इस बारे ने बात की तो मंदिर के पुजारी शिवरंजन भारती ने बताया कि सरकारी सुविधा के इंतजार में वर्षों बीत जाने के बाद लोगों ने मंदिर को आधुनिक रूप से परिवर्तित करने का बीड़ा उठाया. जो पिछले दस वर्षों से निर्माण कार्य लगातार जारी है.

संकटहरण हैं बाबा तटेश्वरनाथ

ठेरा गांव के लोगों की माने तो गांव में किसी प्रकार का संकट आने पर शिवलिंग को पूरी तरह दूध से डुबोने से दुख का निवारण हो जाता है. अगर बाबा की कृपा नहीं हुई, तो शिवलिंग कुंड में गांव से लाये गये हजारों लीटर दूध देने के बाद भी नहीं डुबता.ऐसी स्थिति में लोग समझ जाते है कि निकट भविष्य में दुखों से छुटकारा मिलने को नहीं है.जब इनकी कृपा होती है, तो काफी कम दूध में भी शिवलिंग डूब जाता है.

मंदिर कीभूमिपर अतिक्रमण

ठेरा गांव में बाबा तटेश्वरनाथ की कृपा दृष्टि चाहे जितना भी हो, लेकिन भक्ति, यशव कृपा को ताक पर रखकर लोग मंदिर की जमीन का अतिक्रमण करने में लगे हैं. बाबा तटेश्वरनाथ के नाम से लगभग सात एकड़ 65 डिसमिल जमीन अंचल के दस्तावेजों में दर्ज है. लेकिन धरातल पर यह जमीन काफी कम हो गया है. लोगों ने इस जमीन को कब्जा करने में लगे हुए है.

क्या है व्यवस्था

बाबा तटेश्वरनाथ मंदिर में ग्रामीणों द्वारा शौचालय, महिलाओं के लिए अलग से स्नानघर, चापाकल, समरसेबल, चबूतरा, सामुदायिक भवन सहित अन्य व्यवस्था आगंतुकों के लिए किया गया है. सरकारी कार्य ना के बराबर है.

उपेक्षित है मंदिर

जरा इस बात पर गौर फरमाइयेगा की महाशिवरात्रि के मौके पर आयोजित मेले को लेकर सरकारी तौर पर राजस्व वसूली के लिए दुकानदारों से रुपये की वसूली की जाती है. यह व्यवस्था वर्षों पूर्व से चली आ रही है. लेकिन सरकारी स्तर से किसी प्रकार की सुविधा मुहैय्या नहीं करायी जाती है यानी सिर्फ नाम का प्रशासन. यही कारण है जिससे ग्रामीणों में हमेशा आक्रोश रहता है.

क्या कहते हैं मुखिया जी

आजादी काल से ही बाबा तटेश्वरनाथ मंदिर परिसर में शिवरात्रि के मौके पर मेले का आयोजन किया जा रहा है. सरकार व प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार का व्यवस्था नहीं किया गया है. यहां जो भी व्यवस्था है. ग्रामीणों द्वारा की गयी है. जिला प्रशासन कम से कम मंदिर परिसर का चहारदीवारी कार्य कराये.

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