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Umga sun temple : उमगा पहाड़ी पर स्थित सूर्य मंदिर देखेंगे तो वहाँ से वापस आने का मन नही करेगा

Umga sun  temple

दोस्तों अगर आप पेड़-पौधों, जंगल और पहाड़ को महसूस करना चाहते हैं, तो एक बार औरंगाबाद जिले के मदनपुर स्थित उमंगा का सफर जरूर करें. प्रकृति ने मदनपुर को कई नेमतों से नवाजा है. इन्हीं में से एक है उमंगा पहाड़. मदनपुर प्रखंड मुख्यालय से पश्चिम-दक्षिण दिशा में दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित उमंगा पहाड़ अपनी खूबसूरती से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां एक तालाब भी है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र है. पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव और प्रचार-प्रसार की कमी के कारण इस खूबसूरत जगह का दीदार करने से बाहर के लोग वंचित हो रहे हैं.


 प्रखंड क्षेत्र के लोग उमंगा का विकास चाहते हैं. इसे पर्यटक स्थल का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. ऐसा होने से यहां अधिक पर्यटक आयेंगे और फिर स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा. मालूम हो कि उमंगा पर्वतमाला पर 52 मंदिरों की श्रृंखला है. साथ ही साथ औषधीय पौधों की भरमार है. पर्वतमाला पर विद्यमान पौराणिक सूर्य मंदिर, उमंगेश्वरी मंदिर, सहस्त्र शिवलिंगी के साथ सबसे ऊंची श्रृंखला पर गौरी शंकर का मंदिर श्रद्धालुओं को अक्सर अपनी ओर खींचता है. सच कहा जाये, तो प्रकृति की इस छटा में आकर हर कोई यहां खो जाता है. हालांकि, थोड़े विकास के कार्य हुए हैं, लेकिन जो होना चाहिए था वह नहीं हो सका है. ज्ञात हो कि मंदिर को प्रसिद्धि दिलाने के लिए उमगा महोत्सव का आयोजन भी किया जाता रहा है. कोविड के कारण महोत्सव पर ग्रहण लग गया है. वर्षों पहले उमगा में रोपवे निर्माण की घोषणा भी हुई थी, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.

उमंगा में शक्ति पूजा की परंपरा के मिलते हैं संकेत 

 52 मंदिरों के परिसर वाले उमंगा पहाड़ पर सदियों पुरानी शक्ति पूजा की परंपरा के कई संकेत मिलते हैं. मगध क्षेत्र विशेषकर औरंगाबाद और आसपास के इलाके में इस पूजा की परंपरा के ग्रंथिय साक्षय के साथ-साथ पुरातात्विक संकेत भी मिलने लगते हैं. यहां सिंहवाहिनी दुर्गा से लेकर माता काली और महिषासुर मर्दनी के रूप में देवी के रूप में कई प्राचीन प्रतिमाएं हैं. पुजारी बालमुकुंद पाठक की मानें, तो इन प्रतिमाओं का निर्माण काल आठवीं सदी के आसपास माना जाता है. एक विशाल शीला के नीचे स्थापित प्रतिमाएं मां उमंगेश्वरी के रूप में यहां आराधना की जाती है. यही नहीं, पहाड़ की चोटी पर चट्टानों पर बने द्वार से यहां बलि की परंपरा के संकेत भी मिलते हैं. हाल के दिनों तक यहां पशु बलि की प्रथा जारी थी. उमंगा क्षेत्र में भगवान शिव की एक प्रतिमा ललित अनुग्रह मुद्रा में है. जानकारों के अनुसार यह तांत्रिक पूजा पद्धति के प्रचलन का संकेत है.

क्या कहते हैं लोग

• उमगेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी तांत्रिक बालमुकुद पाठक बताते हैं कि उमंगा के विकास के लिए न सरकार का ध्यान है और न जनप्रतिनिधियों का. अगर, इस पर्वत माला को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल जाये, तो यहां पर बिहार समेत देश के कोनेकोने से लोग पहुंचेंगे. इसके जरिये स्थानीय लोगों को बड़ी आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सकेगा.बहुत हद तक बेरोजगारी की मार कम हो जायेगी. बालमुकुंदपाठक 


• ग्रामीण राकेश सिंह कहते हैं कि अगर उमंगा में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर इसका प्रचार-प्रसार किया जाये, तो यह इलाका विकास के पैमाने पर खरा उतरेगा.वैसे भी उमंगा की खूबसूरती ही लोगों को लुभाती है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकार को उमंगा के विकास के बारे में सोचना चाहिए.सिर्फ महोत्सव से उमंगा का विकास नहीं होगा. राकेश सिंह

• ग्रामीण धनंजय सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार अगर चाहे, तो इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर सकती है. इससे सरकार को राजस्व का फायदा होगा. जिस तेजी के साथ विकास कार्य कराये जा रहे थे, उस पर भी ग्रहण लग गया है. औरंगाबाद के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों और व्यवसायियों को भी उमंगा के विकास पर सोच विचार करना चाहिए. अगर, इस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन पर भी विचार किया जायेगा. धनंजय कुमार सिंह

• पेंशनर समाज के अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह ने कहा कि उमंगा पर्वत या यूं कहे कि पौराणिक सूर्य मंदिर व उमंगेश्वरी माता का मंदिर जिले की एक पहचान है. हाइवे से गुजरते हुए लोगों के जेहन में रहता है कि वे एक बार उमंगा पर्वत पर विराजमान देवी-देवताओं का दर्शन जरूर करें. उमंगा के विकास से औरंगाबाद जिले का विकास होगा. जगन्नाथ सिंह

 • अवकाशप्राप्त शिक्षक व ज्योतिष शिवनारायण सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक, पौराणिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध उमंगा पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को समेटे हुए हैं.यदि योजनाबद्ध तरीके से इस स्थल का समग्र विकास किया जाये, तो यह स्थल न केवल देशी-विदेशी सैलानियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण के केंद्र के रूप में विकसित होगा, बल्कि स्थानीय वासिंदों की आर्थिक समृद्धि में भी सहायक होगा. ज्योतिष शिवनारायण सिंह

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