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महिला दिवस : हर क्षेत्र में महिलाएं लहरा रही है परचम, ये हैं बिहार के प्रेरणा देती महिलाएं

अंतरास्ट्रीय महिला दिवस

 नये दौर में महिलाएं काफी तेजी से उन्नति कर रही हैं. खेल से लेकर तकनीक और सेना से लेकर राजनीति तक या फिर प्रशासन में महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है. महिलाएं समाज निर्माण और देश का मान बढ़ाने की दिशा में पुरुषों के समान ही योगदान दे रही हैं, लेकिन आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का सम्मान नहीं मिल पता है. कई मामलों और क्षेत्रों में 'यह तो औरत है' कह कर पीछे धकेल दिया जाता है या आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. हमारे बिहार के  जिले में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो प्रशासन की बागडोर संभाल रही हैं. ये सभी महिलाएं नयी पीढ़ी की लड़कियों व औरतों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. इन सभी महिला पदाधिकारियों ने शादी के बाद अपने ससुराल में पति, परिवार और बच्चों को संभालते हुए पढ़ाई की और सफलता प्राप्त कर पद पर सुशोभित हैं. आइए जानते हैं ऐसी महिलाओं के संघर्ष की कहानी... .

जिले की 800 से अधिक महिलाओ की गृहस्थी टूटने से बचायी है कांति जी ने

महिला संरक्षण पदाधिकारी कांति कुमारी उत्पीड़न से त्रस्त महिलाओं की सबसे बड़ी मददगार हैं. वह अब तक 800 से अधिक महिलाओं की गृहस्थी टूटने से बचा कर उनका घर बसा चुकी है. वह महिलाओं की समस्या सुनने के बाद न्याय दिला कर ही दम लेती है. उनकी पहचान एक संवेदनशील महिला पदाधिकारी के रूप में है. कांति ने अपने बारे में बताया कि वो रोहतास जिले के डेहरी ऑनसोन की रहने वाली है.शादी के बाद पति व घर के परिवारों की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने पढ़ाई की और सफलता पायी. उनकी स्कूलिंग केंद्रीय विद्यालय धनबाद से हुई है. इसके बाद उन्होंने सोशियोलॉजी विषय के साथ विनोभा भावे यूनिवर्सिटी से पीजी की पढ़ाई की है. उन्होंने कहा कि समाज में तेजी से बदलाव आ रहा है. महिलाओं को अपनी उपस्थिति समाज में मजबुती से दर्ज करानी चाहिए, ताकि वह हर परिस्थितियों का सामना कर सके.आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. हमें अपने हौसलों के मजबूत पंख से ऊंची उड़ान भरना होगा.

महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं कुमारी अनुपम सिंह

दाउदनगर की एसडीएम कुमारी अनुपम सिंह सामाजिक, प्रशासनिक और रचनात्मक कार्यों को लेकर काफी प्रचलित है. उनकी छवि एक कड़क पदाधिकारी के रूप में होती है. कुमारी अनुपम 2011 बैच की बिहार प्रशासनिक सेवा की पदाधिकारी है.सासाराम की रहने वाली कुमारी अनुपम की प्रारंभिक और स्कूली शिक्षा सासाराम में ही हुई. उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा चंडीगढ़ और दिल्ली से प्राप्त की है. उन्होंने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखा है. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज महिलाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल है. दाउदनगर से पहले वह पटना में सदर एसडीओ, भभुआ में सदर एसडीओ, बक्सर में सीनियर डिप्टी कलक्टर के पद पर रह कर काम कर चुकी है. आम अवाम की समस्याओं को सुनना व तत्परता से समाधान करना उनकी कार्यशैली है.कुमारी अनुपम सिंह बताती हैं कि अगर महिलाएं दृढ़ संकल्पित होकर प्रयत्न करें, तो उन्हें मंजिल कर पाने से कोई रोक नहीं सकता है. महिलाएं अबला नहीं है. .

ससुराल वालों की प्रेरणा से सफलता प्राप्त कर मुकाम पर पहुंची है मंजू जी

डीडीसी व जिला पंचायती राज पदाधिकारी मंजू प्रसाद की पहचान कर्तव्यनिष्ठ महिला पदाधिकारी के रूप में होती है. जिले में विकास को गति देने वाली मंजू प्रसाद समाज में नारी शक्ति की मिसाल है. उन्होंने बताया कि शादी के बाद ससुराल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की. ससुराल में पति को छोड़ कर बाकी लोग अधिक पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन ससुराल वालों ने उनका भरपूर सहयोग किया और सफलता के लिए प्रेरित किया.बड़े में रह कर पूरे परिवार को संभालते हुए पढ़ाई में जुट गयी और घर में रह कर सेल्फ स्टडी के जरिये पढ़ाई की और आखिरकार 1997 में 40वीं बीपीएससी में उन्हें सफलता प्राप्त हुई. वह गुवाहाटी विश्वविद्यालय से स्नातक व पटना विश्वविद्यालय से बॉटनी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर चुकी है. उन्होंने कहा कि अगर  कोई भी महिला किसी भी क्षेत्र में कामयाब होना चाहती है, तो लगन दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत सफलता प्राप्त कर सकती है.

कर्ज लेकर रामरती देवी ने की सब्जी की खेती, आज लोगों को दे रहीं प्रेरणा

मैगरा थाना क्षेत्र के नारायणपुर पंचायत अंतर्गत सलइटांड निवासी रामरती देवी सब्जी की खेती करने के तरीका बता कर अपने क्षेत्र की दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं. रामरती देवी ने बताया कि रानीगंज स्थित समन्वय तीर्थ के सचिव से 15 हजार रुपये कर्ज लेकर सब्जी के खेती करने का तरीका सीखा और अपने क्षेत्र की महिलाओं को भी प्रेरित किया. आज इस क्षेत्र में क्रांति आ गयी है. प्रशिक्षित महिलाएं स्थानीय बाजार में जाकर नयी-नयी सब्जी बेंच कर खुशहाल हैं. रामदेवी देवी ने कहा की स्कीमलर लगाकर सब्जी, चना के अलावा फल व राई आदि की खेती बड़े पैमाने पर कर रही हैं. लगभग 10 एकड़ में प्याज की खेती की है.

कोंची पंचायत की अंजलि मुखिया बन कर गरीब बच्चों को दे रहीं मुफ्त शिक्षा

 प्रखंड के फाफर गांव में कोंची पंचायत की मुखिया अंजलि कुमारी ने गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं. मुखिया अंजलि कुमारी खुद एमएससी कर रही हैं और बच्चों को भी पढ़ाती है. गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाती हैं. कोंची मुखिया पिछले दो साल से गरीबों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही हैं. वे एल के जी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने के साथ ही उन्हें मुफ्त पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध करा रही हैं. मुखिया अंजलि ने बताया कि इसमें ऐसे परिवार के बच्चे शामिल हैं, जिनके पास स्कूल भेजने से लेकर घर में जरूरत की सामग्री भी नहीं है. इतना सामर्थ्य ही नहीं कि वे कुछ खरीद सकें. उनका मिशन है गरीब से गरीब बच्चों को तालीम दिलाना.

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