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गली मोहल्लों में शिक्षक लगा रहे है क्लास, ताकि कोरोना लोकडौन में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो

 

जिला शिक्षा कार्यालय के आदेश पर अब गली मुहल्लों में क्लास का संचालन किया जा रहा है. शिक्षा शिक्षिकाओं के साथ ही शिक्षा सेवक, तालीमी मरकज आदि की ओर से गांवों में जाकर पढ़ाई कराई जा रही है covid19 संक्रमण के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए यह प्रयास जिला शिक्षा विभाग ने किया है. 

जिले के विभिन्न प्रखंडों में ग्रामीण क्षेत्रों पर कई मुहल्लों में शिक्षक क्लास लगा रहे हैं. गृह विभाग के निर्देश पर छह फरवरी तक के लिए सभी स्कूलों में पठन-पाठन बंद रखने का आदेश दिया गया है. लेकिन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए स्थानीय जिला शिक्षा विभाग की ओर से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़ी जानकारी देने, बच्चों को रीडिंग हैबिट मेंटेन करने, 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने, इनके घरों के सर्वे करने आदि काम करने को लेकर जिला शिक्षा कार्यालय ने निर्देश दिया है. जिले के सभी प्रखंडों में शिक्षकों को पोषक क्षेत्र के अनुसार एरिया में जाकर शैक्षणिक गतिविधि बढ़ाने को कहा गया है. साक्षरता के डीपीओ मोहम्मद मुकीम उद्दीन ने बताया कि इस कार्य में शिक्षा सेवक, तालीमी मरकज के शिक्षा सेवक मुख्य रूप से जुड़ कर काम कर रहे हैं.

सभी प्रखंडों में गतिविधि का संचालन किया जा रहा है या नहीं इसकी जानकारी है लेने को लेकर मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी बनायी गयी है. इसका अनुश्रवण संबंधित प्रखंड के केआरपी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि सभी प्रखंडों में शिक्षा सेवक टोला, मुहल्ला में जाकर शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.


जिला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता नवादा के निर्देशानुसार अकबरपुर प्रखंड में 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को टोला, गृह वार पठन-पाठन का कार्य सोमवार से शुरू किया गया. कोविड-19 के कारण विद्यालय बंद हो गया है. इस परिस्थिति में बच्चों की पढ़ाई में निरंतर कमी आयी है.इसे पाटने के लिए सरकार ने वैसे बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं है, उन्हें गृह व टोला वार शिक्षा देने की व्यवस्था की है. उन्हें कोविड-19 के बारे में भी बताना है. और छूटे लोगों का वैक्सीनेशन भी कराना है.प्रखंड में कुल 43 शिक्षा सेवक कार्यरत हैं, जो विद्यालय के पोषक क्षेत्र के किसी एक चिह्नित टोला में बच्चों को पढ़ायेंगे. प्रखंड केआरपी सूर्यदेव प्रसाद कुशवाहा 17 जनवरी से विभिन्न टोलों में जा जाकर अनुश्रवण कार्य कर रहे हैं. साथ ही साथ मोबाइल से समय-समय पर उचित परामर्श दे रहे हैं. 

आंगनबाड़ी केंद्र में पहुंच रहे बच्चे

इधर दूसरी तरफ राज्य सरकार के गृह विभाग ने कोविड- 19 संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई को बंद कर बचाव के उपाय करने के आदेश दिया है. लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों में गतिविधियां जारी हैं. जिले में संचालित बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन और कोचिंग संघ के सदस्यों ने कहा कि यह सरकार का दोहरा मानदंड है. एक ओर जहां स्कूलों में परीक्षा का संचालन और अन्य शैक्षणिक गतिविधियां की जा रही हैं, तो दूसरी ओर से आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी खुले हुए हैं. सरकार के आदेश के बाद सभी प्रकार के स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, ट्यूशन सेंटर को बंद करा दिया गया है. 

कोचिंग संघ के अध्यक्ष अमरदीप सिन्हा ने कहा कि सरकार की गलत व्यवस्था के कारण शिक्षा का सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. बिना पढ़ाई के विद्यार्थी कैसे परीक्षा देंगे यह जवाब देने वाला कोई नहीं है. पब्लिक स्कूल से जुड़े डॉ आरपी साहू ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे बिना स्वेटर के ही आंगनबाड़ी केंद्र में पहुंच रहे हैं. सरकार के अनुसार इन बच्चों को न तो ठंड से समस्या है और न ही कोविड-19 जैसी महामारी से कोई परेशानी है. सरकार को आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद कराना चाहिए. जिला शिक्षा कार्यालय के आदेश के बाद अब गली-मोहल्लों में शिक्षकों की ओर से क्लास संचालित किया जा रहा है. शिक्षक जब विद्यार्थियों के बीच जाने सकते हैं, तो उन्हें स्कूल में क्लास संचालन की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है. इस बाबत अपनी आवाज उठाते हुए अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष दिनेश नाथ पासवान ने कहा कि जिला शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है, इसमें कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं. शिक्षकों को पढ़ाने के लिए विद्यालय परिसर में अनुमति मिलनी चाहिए.

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