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औरंगाबाद जिले के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने सर्वस्व किये थे न्योछावर freedom fighters of aurangabad bihar

freedom fighter of aurangabad bihar
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दाउदनगर के अनेकों वीर योद्धाओं ने अहम भूमिका निभायी है. इस धरती के कई लाल ने स्वाधीनता संग्राम में भाग लेकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. देश की स्वतंत्रता के खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है.

 केदारनाथ ने निभायी थी महत्वपूर्ण भूमिका : शहर के निवासी केदारनाथ गुप्ता ने स्वतंत्र आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. आजादी के संघर्ष के दिनों में पटना साइंस कॉलेज में इंटरमीडिएट के छात्र थे .11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय गोली कांड के बाद यहां छात्रावास में रह रहे छात्रों पर जुल्म ढाया गया. ऐसी स्थिति में ये और इनके चार-पांच साथी गिरफ्तारी से बचने के लिये छात्रावास छोड़कर भाग निकले और लगातार चार दिनों तक भूखे प्यासे पैदल चल कर किसी तरह दाउदनगर पहुंचे. दाउदनगर आकर उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ एक सभा आयोजित की. पटना गोलीकांड की दास्तान सुनते ही सारे युवक उत्तेजित हो उठे और थाना, डाकघर समेत अन्य सरकारी संस्थानों में तोड़फोड़ की गयी.इसके बाद अंग्रेजों का दमनचक्र चला.

रामनरेश ने आजादी की लड़ाई में निभायी भूमिका
रामनरेश सिंह का जन्म गोह प्रखंड के बुधई गांव में हुआ था. उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने आंचलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और आजादी के बाद अपनी कर्मभूमि दाउदनगर के नव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. उन्होंने वर्ष 1936 में बाबू बद्री नारायण सिंह का सहयोग करते हुए चौरम गांव में एक आश्रम की स्थापना की. इस आश्रम में फरवरी 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन हुआ .1952 व 1967 में तत्कालीन दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक गये और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री भी बने.

कैलाश राम पर इनाम हुआ था घोषित
दाउदनगर निवासी कैलाश राम 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़ कर गया चले गये.गया में एक डॉक्टर के यहां कंपाउंडरी सीख कर आजादी के लिए हो रहे आंदोलन में कूद पड़े भारत छोड़ो आंदोलन में नारा लगाने व जुलूस निकालने के जुर्म में इंडिया डिफेंस की तीन धाराओं में इन्हें गिरफ्तार करके गया जिला कारागार में डाल दिया गया.दो वर्षों तक जेल में रहने के बाद वे फिर से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गये. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिल कर दाउदनगर के मौलाबाग में स्पिरिट कारखाना को जला दिया था. तब अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें जीवित या मृत पकड़ने की ऐलान किया था.

जगदेव लाल ने जेल में सही यातना
दाउदनगर शहर के निवासी जगदेव लाल गुप्ता जेल में यातना झेली थी डाकघर में तोड़फोड़ व शिफ्टन हाई स्कूल को जलाने में यह भी शामिल रहे थे.अंग्रेजी हुकूमत ने सभी युवाओं को गिरफ्तार करने का वारंट निर्गत कर दिया था. अंग्रेजों ने घर से घसीटते हुए जगदेव लाल को गिरफ्तार कर लिया उन्हें बक्सर सेंट्रल जेल भेजा दिया.छह महीने के बाद जेल से रिहा होने के बाद वे जेल के बाहर महात्मा गांधी की जय, भारत माता की जय का नारा लगाने लगे. अंग्रेजों ने वहीं पर फिर से पकड़ कर जेल में डाल दिया. करीब एक वर्ष बाद जेल से निकले तो फिर से आजादी की लड़ाई के आंदोलन में भाग लेते रहे.

दरगाही लाल को देखते ही गोली मारने का था आदेश
शहर के ही निवासी दरगाही लाल केसरी ने भी आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. 13 अगस्त 1942 को जब उस समय पूरा गया जिला अंग्रेजों के खिलाफ बगावत पर उतर आया था, तो दरगाही लाल केसरी ने अपने साथियों के साथ डाकघर में काफी तोड़फोड़ की. उनकी युवा टोली थाने पर तिरंगा फहराने में सफल रही थी, जिसके कारण इनके पिता की दुकान पर बुलडोजर चलवा दिया गया था.जहरीली शराब से कुछ लोगों की मौत हो जाने के बाद युवाओं की टोली ने शराब भट्टी वाली सड़क पर सोकर जाम कर दिया था. दरगाही लाल की युवा टोली ने शिफ्टन हाईस्कूल पर हमला बोल दिया था. वहां शिफ्टन की तस्वीर को जला दिया था .
केदार सिंह : हसपुरा प्रखंड के पथरौल निवासी केदार सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान दिया था. विदेशी कपड़ों के होली जलाना, जनजागृति जैसे महत्वपूर्ण कार्य किया था.

 श्यामाचरण भथुआर: ओबरा प्रखंड के खरांटी निवासी श्यामाचरण भर्युआर प्रारंभ से ही उग्र विचारधारा के व्यक्ति थे. 1942 के आंदोलन में इनके कार्यों को देखते हुए काला पानी की सजा हुई
जगदेव मिस्त्रीः ओबरा प्रखंड के अतरौली निवासी जगदेव मिस्त्री स्वाधीनता संग्राम में क्रांतिकारियों को पिस्तौल बना कर देते थे,ताकि समय पर अंग्रेजों से मुकाबला किया जा सके. इस आरोप में इन्हें जेल की सजा हुई थी

 पदारथ सिंह : ओबरा प्रखंड के मरबतपुर( मलवां) निवासी पदारथ सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान दिया था और जेल भी गये. इस दौरान उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली भी जलायी और जेल भी गये.आजादी के बाद शिफ्टन हाई स्कूल ( अब अशोक हाई स्कूल )में शिक्षक हुए.उन्होंने अनेक विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा प्रेम का परिचय दिया. वे ओबरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी बने.

नथुनी विश्वकर्मा : ओबरा प्रखंड के कारा के रहनेवाले नथुनी विश्वकर्मा को स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय रहने के कारण जेल की यातनाएं सहनी पड़ी थी

रामविलास शर्मा : इनका जन्म को प्रखंड गोह के पेमा ग्राम में हुआ था. अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करते हुये उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा .1945 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने.पटना स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र पटना गया स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से परिषद के सदस्य भी रहे. सरदार हरिहर सिंह मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री भी रहे.

 जागेश्वर दयाल सिंह : दाउदनगर प्रखंड के हिन्तन बिगहा निवासी जागेश्वर दयाल सिंह प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे .स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी के कारण इन्हें जेल की यातना सहनी पड़ी थी.

इन विभूतियों के नाम दर्ज है इतिहास 

गोह के रामदेव सिंह परमार,भरत ठाकुर, बुधई गांव के रामधन सिंह, रघुनंदन सिंह,बख्तियारपुर गांव के अलखदेव सिंह, झरी गांव के अवध सिंह, सुसनापुर गांव के सिताबी पासवान, ओबरा के नागेश्वर मिस्त्री,मलवां गांव के धर्मराज सिंह,डिहरा गांव के रामप्रताप सिंह, अतरौली गांव के रघुनंदन यादव, सोनबरसा गांव के राम एकबाल सिंह,दाउदनगर के नथुनी पासी, नथुनी साहू, बेनी राम लक्ष्मण लोधी, मोतीराम नथुनी साहू, तरार गांव के हरिहरन बनवरिया, तरारी गांव के भल्लू राम, बाबू अमौना गांव के दिनेश शर्मा, राजनदन शर्मा, करमाही गांव के सीताराम सिंह, रतनपुर गांव के यमुना सिंह, अग्नि गांव के बलदेव,झौरी बिगहा गांव के रामबरन सिंह शामिल हैं.

2 comments for "औरंगाबाद जिले के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने सर्वस्व किये थे न्योछावर freedom fighters of aurangabad bihar"

  1. These revolutionaries have done a very good job, but some feel today that we have got this freedom free 'they do not know the price of freedom. When they are told to do so, they have not even stopped the bad word of bad propaganda.

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